दादाजी ने साइकिल दिलाई।
मेरा
मुझे
मेरे
राहुल सदैव मित्र रहा है।
उसका
उसके
उसे
जैसा करोगे भरोगे।
वैसी
वैसे
वैसा
शीघ्र ही सँभल गए थे।
वे
वह
मैं
मामाजी ने बहुत समझाया भी था।
कौन
मैंने
तुम्हें