‘उठो धरा के अमर सपूतों’ कविता के कवि कौन हैं?
डाॅ. भगवत दूबे
द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
तिरुवल्लुवर
कविता में कवि ने ‘युग-युग के मुरझे’ किसके लिए कहा है?
धरा
सपूतों
सुमनों
कविता में कवि कैसे दीपक जलाने की बात कहता है?
अज्ञान के
ज्ञान के
भक्ति के