बाहर मँडरा रहा था।
कौवा
कौवे
दूध की मुँह में डाल दी।
बूँदें
बूँद
बाहर आकर बैठ जाती है।
गिलहरियाँ
गिलहरी
मैंने निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया।
कीलें
कील
के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती।
गिलहरियों
रुई की पतली बत्ती दूध में भिगोकर मुँह में लगाई।
उसके
उसका
वह
कमरे से बाहर जाने पर गिल्लू भी बाहर चला जाता था।
मेरे
सिरहाने बैठकर नन्हे-नन्हे पंजों से मेरे बालों को सहलाता था।
मैंने
काजू प्रिय खाद्य था।
उसके झूले की सफ़ाई की तो उसमें काजू भरे मिले।