सिकंदर अपने शत्रुओं की बजा रहा था।
ईंट से ईंट
ज़मीन-आसमान
आज की नारी पुरुषों से मिलाकर चलती है।
कंधे से कंधा
किताबी कीड़ा
मेरी और तुम्हारी साड़ी में का अंतर है।
एड़ी चोटी का ज़ोर
हिना तो है जो लगातार पढ़ती रहती है।